होलाष्टक से रहे सावधान न करें ये काम - आचार्य अशोक नारायण
होलाष्टक से रहे सावधान न करें ये काम – आचार्य अशोक नारायण
2024 में होलाष्टक 17 मार्च से 24 मार्च तक होगा
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2024 में, होलाष्टक 17 मार्च से 24 मार्च तक होगा | 17 मार्च को उदयातिथि में फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि होगी, जिससे होलाष्टक की शुरुआत होगी |
आठवें दिन 24 मार्च को होलिका दहन होगा और यह दिन होलाष्टक का आखिरी दिन होगा |
अगले दिन 25 मार्च को होली खेलने के बाद किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत की जा सकेगी |
इन 8 दिनों के दौरान किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं| होलाष्टक यानी होली के पहले ऐसे आठ दिन, जिन्हें अशुभ माना जाता है | इस समय मांगलिक कार्यों की मनाही होती है और एक तरीके से देखा जाए तो ये आठ दिन शोक से जुड़ाव महसूस कराते हैं| होलाष्टक का प्रभाव ग्रहों की चाल के कारण भी होता है|
होलाष्टक के 8 दिनों के दौरान राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए कठोर यातनाएं दी थीं| यहां तक कि आखिरी दिन उसे जलाकर मारने की कोशिश भी की थी| इसलिए इन 8 दिनों में शुभ कार्य नहीं करते हैं और ज्यादा से ज्यादा समय भगवान की भक्ति में लगाते हैं|
फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है| होलाष्टक के दौरान हिंदू धर्म से जुड़े सोलह संस्कार जैसे- विवाह, मुंडन घर-गाड़ी, सोना खरीदना, नया काम-व्यापार शुरू करना |
जिस दिन से होलाष्टक आरंभ होता है उस दिन से अगले आठ दिनों तक 16 संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता | होलाष्टक के दौरान दान-पुण्य करने का विशेष पुण्य मिलता है. धार्मिक मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए इससे सभी तरह के रोगों से छुटकारा मिल सकता है और शरीर स्वस्थ रहत है.
नवविवाहिता को सुसराल में पहली होली देखने की भी मनाही की गई है| इस दौरान किसी परिजन की मृत्यु हो जाए तो उसकी आत्मा की शांति के लिए विशेष अनुष्ठान कराने चाहिए|
होलाष्टक में क्या करें?
होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है, साथ ही आकस्मिक मृत्यु का खतरा भी टल जाता है|
ऐसा माना जाता है कि होलिका से पूर्व 8 दिन दाह कर्म की तैयारी की जाती है| होलाष्टक मृत्यु का सूचक है|
इस दुःख के कारण होली के पूर्व 8 दिनों तक कोई भी शुभ कार्य नही होता है| जब प्रह्लाद बच जाता है, उसी खुशी में होली का त्योहार मनाते हैं |
ग्रन्थों में उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के अपराध में कामदेव को
शिव जी ने फाल्गुन की अष्टमी में भस्म कर दिया था | कामदेव की पत्नी रति ने उस समय क्षमा याचना की और शिव जी ने कामदेव को पुनः जीवित करने का आश्वासन दिया|
इसी खुशी में लोग रंग खेलते हैं|
भगवान विष्णु के भक्त विधिविधान से पूजा करने के साथ ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय या ऊँ विष्णवे नम: का जाप कर सकते हैं। होलाष्टक के दौरान भगवान का मनन करने से आपका चित्त, मन, दिमाग शांत रहेगा, जिससे आपके आसपास सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होगी।
ॐ नमः नारायण
आचार्य अशोक नारायण
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